स्कूलों में अव्वल आए 125 विद्यार्थियों को मिलेगी ई-स्कूटी, विभाग प्रशिक्षण देकर सिखा रहा चलाना
शिवपुरी। पिछले शैक्षणिक सत्र में कक्षा 12 में जिले के 69 सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूलों में सबसे ज्यादा अंक लेकर स्कूल टाप करने वाले 125 छात्र-छात्राओं को जल्द ही पुरूस्कार के रूप में विभाग ई-स्कूटी देने जा रहा है। अव्वल आए इन विद्यार्थियों के हाथ में ई-स्कूटी आए उससे पहले शिक्षा विभाग ने इन विद्यार्थियों को ई-स्कूटी चलाने, उसके रखरखाव और यातायात नियमों की जानकारी देने की कवायद शुरू कर दी है। रविवार से शहर के उत्कृष्ट उमावि क्रमांक-1 में ई-स्कूटी योजना के तहत पात्र 125 छात्र-छात्राओं का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हो गया है।
सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक आयोजित इस प्रशिक्षण में शुभि मोटर ड्रायविंग स्कूल के प्रशिक्षक सुनील शर्मा और उनकी टीम इन विद्यार्थियों को ई-स्कूटी की तकनीकी व अन्य सैद्धांतिक जानकारियां प्रदान कर रहे हैं। प्रशिक्षण प्रभारी वत्सराज सिंह राठौड़ ने बताया कि जिले के 69 हायर सेकेण्डरी स्कूलों में से को-एजूकेशन वाले स्कूलों में टापर रहे एक छात्र व एक छात्रा को स्कूटी मिलेगी, जबकि कन्या व बालक हायर सेकेण्डरी स्कूलों में एक-एक टापर छात्र को ई-स्कूटी प्रदान की जाएगी। इस तरह जिले में 125 विद्यार्थी ई-स्कूटी योजना से लाभांवित होंगे। प्रशिक्षण के दौरान सहायक संचालक विमल श्रीवास्तव, परीक्षा प्रभारी राजेश श्रीवास्तव, रतिराम धाकड़, अमन वाजपेयी,कम्प्यूटर आपरेटर हिर्देश शर्मा, शुभम राठौर, नमन चतुर्वेदी, रोशनी वैश्य सहित अन्य अमला मौजूद रहा।
क्लच, ब्रेक से लेकर संकेत चिन्हों की दी जानकारी
तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण में मोटर ड्रायविंग स्कूल के प्रशिक्षकों ने जिले भर के 69 स्कूलों से आए 125 टापर को पहले सत्र में सुबह 9 से 10 बजे तक क्लच, ब्रेक, एक्सिलेटर के उपयोग के साथ-साथ गति एवं संतुलन बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा स्कूटी के ईंधर, बैटरी, रखरखाव के अलावा यातायात नियमों, सड़क सुरक्षा की भी जानकारी दी गई। इतना ही नहीं, सड़क पर लगे आदेशात्मक, सचेतक व सूचनात्मक चिन्हों से भी परिचित कराया गया। दूसरे सत्र में सुबह 10 से 12 बजे तक विशेषज्ञों की देखरेख में ई-स्कूटी चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
स्कूटी से पहले बनवाए जा रहे लायसेंस
कक्षा 12वीं पास कर चुके इन टापर्स को स्कूटी जल्द मिलेगी लेकिन उससे पहले ही सरकार और विभाग नियमों व सुरक्षा को लेकर सजगह है। यही कारण है कि जहां इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं इन पात्र विद्यार्थियों के ड्रायविंग लायसेंस भी स्कूलों के माध्यम से बनवाए जा रहे हैं। इसके लिए स्कूलों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। कुल मिलाकर विभाग चाहता है कि इन विद्यार्थियों के हाथ में स्कूटी आए उससे पहले ये तकनीकी, संचालन व कानूनी रूप से ड्रायविंग में दक्ष हो जाएं।